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Showing posts from February, 2025

जीवन ज़रूरी है मुक्ति के लिए या जीवन ज़रूरी है?...

मेरी सोच बाक़ी लोगों से अलग है...

मूर्खता का बोध...

सम्मान का मार्ग...

तुम मेरे मन में हो...

तुम मेरे मन में हो...

तुम ही शिव हो...

ईश्वर और भय...

पर्वत का धैर्य...

अहंकार का बोझ...

किनारे पे बैठे लोग...

प्रेम की नदी...

क्या पाया तुमने कुंभ में नहाकर...

नज़रें...

निर्भरता का भार...

पत्नी का प्रेमिका हो जाना...

नदी को पता है...

बहाव और ठहराव...

अद्भुत है ये दुनिया...

नदी से बिछड़े पानी जैसे हैं...

निस्वार्थ सेवा का अमृत...

तुम्हारे लिए.....

तुम्हारे लिए...

जीवन का सत्य...

तुम बहुत सुंदर हो...

मैं बनना चाहता हूँ महाभारत का कर्ण...

अगर प्रेम का अर्थ केवल विवाह है...

"सबसे बड़े बिज़ी"...

मेरी प्रकृति है प्रेम करना...

संसर का कठोर सत्य...

प्रेम ही मेरी प्रकृति है...

प्रेम संग जीना, प्रेम संग मरना...

प्रेम की स्थिरता...

निरर्थकता का सुकून...

सुनहरा राज़...

मेरा पति परदेस गया है...

जीने की वजह..

कितना दर्द है..

माँ से कहा मैंने...

मेरे पास कलम और पन्ने हैं।

इसलिए चाय पी रहा था...

मत करो मुझसे प्यार...

शाम हो चुकी है...

मेरी आँखों ने अंतर करना सीख लिया है...

उस संबंध को छोड़ ही देना चाहिए,

प्रकृति को कष्ट पहुँचाने जैसा है...

इंसान का अहंकार।

समुद्र बनना मुश्किल है...

तुम्हें संबंध क्यों चाहिए?

मेरी लिखी कोई भी कविता मेरे लिए नहीं है

कल शाम मैंने उसे देखा था...

Fooled...

Betrayal...

आत्मा का चुम्बन...

A Cruel Joke: Israel Hamas ceasefire on 19 Jan, 2025

Israel Hamas ceasefire on 19 Jan, 2025

तुम मेरे सामने वाले घर में रहती हो...

मेरी कविताओं को गुनगुना ज़रूर...

राख से उठता रहा...

राख से फिर जन्म लूंगा...

"हक़ और हकीकत"

"ज्ञान की उड़ान"

"मैंने सब कुछ देखा....

छूट गया जो अपना था…

वो बस तुम्हें देख रहा है…

"कुछ शायरी"...

"कुछ शायरी"...

Melt Slowly...

धीरे पिघलो....

Struggle is Life...

संघर्ष ही जीवन है...

मैं तुम्हारे पास ही आ गया...

मैं कैसे तुम्हें नहीं देता...

मैं हूँ गणित का जादूगर, प्रकृति मेरा प्यार...

The Mathemagician of Nature...

मुझे किसी से डर नहीं लगता...

मैं ही ब्रह्मा हूँ...

मैं ही ब्रह्म हूँ...

जीतूंगा तो मैं ही, चाहे दुनिया के ख़त्म होने के बाद ही।

मैं उच्च वर्ग का हूँ...

मैं दो कदम आगे बढ़ा, मैं दो कदम पीछे आ गया।...

मुझे बसंत बनना था, संसार ने मुझे ठंडा बना दिया...

जब चाहो शांति, युद्ध को हो तैयार...

बसंत पंचमी का उत्सव🙏🙏🙏

बंसत पंचमी और निज़ामुद्दीन औलिया-अमीर खुसरो...

बसंत पंचमी का मधुर पर्व🙏🙏🙏

बिना तुम्हें छुए ही तुम्हारा एहसास कर लेता हूँ, इसलिए तो हर रोज़ तुम्हारे लिए लिखता हूँ।